Sheikhpura News : सीएम के जाते ही ग्रामीणों का टूटा सपना, एक छत के नीचे मिलने वाली सुविधाए हुए बंद, आंगनबाड़ी केंद्र सहित अन्य दफ्तरों में लटके ताले

प्रगति यात्रा के तहत 06 फरवरी को सीएम नीतीश कुमार घाटकुसुम्भा प्रखंड के गगौर पंचायत आए थे। उनके आगमन की तैयारी को लेकर गांव को शहर का शक्ल देने की कवायद की गई थी।

पंचायती राज का सपना साकार करने के लिए पंचायत सरकार भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया था। हॉस्पिटल, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, नल जल, जल जीवन जीवन हरियाली, सड़क, बिजली पर करोड़ों रुपया खर्चा किया गया था। लगा था कि गगौर गांव सचमुच में शहर बन जायेगा, लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही सब कुछ वीरान होने लगा। दूसरे ही दिन एक छत के नीचे मिलने वाली सुविधाएं बंद हो गयी, आरटीपीएस काउंटर पर ताला लटके हुए थे, पंचायत सरकार भवन का मुख्य गेट खुला हुआ था, अन्दर कमरे में खुले हुए थे, लेकिन दोपहर 12 बजे तक एक भी कर्मी मौजूद नही थे। यही हाल आंगनबाड़ी केंद्र का था, जहां पर ताला लटका हुआ था, चारों और वीरानी ही वीरानी थी। बिहार सरकार की योजनाओं को प्रदर्शित करने हेतु लगाये बैनर पोस्टर फटे हुए है। स्थानीय लोग अब कहने लगे है कि मुख्यमंत्री का प्रगति यात्रा एक मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल की तरह जो मुख्यमंत्री के जाते ही बंद हो गया।

गांव का नक्शा नहीं, चेहरे चमकाने में अधिकारी हुए कामयाब
सौंदर्यीकरण के लिए बनाए गए खेल मैदान में भी आवारा जानवर इधर-उधर घूमते देखे गये। तालाब का ही हाल सीएम के जाते ही बदरंग होने लगा। जहां तक स्वच्छता की बात करें सड़क किनारे बैठकर शौच करने वाले जो कल तक प्रशासन के डर से बंद था, वह पुन: शुरू हो गया है। स्कूलों में भी जो चुस्ती देखी गयी थी उसमें शिथिलता आ गई है। पंचायत सचिव व पारा मेडिकल गायब दिखे।

ग्रामीण कहते दिखे कि बारात आई और चली गई, दुल्हन के घर में वीरानगी ही वीरानगी है। घोषणा हुआ था कि गांव का नक्शा बदल जायेगा, लेकिन सब कुछ अधिकारी अपना चेहरा चमकाने के लिए कर रहे थे। आज भी गांव की स्थिति जस की तस है, लोग भूख बेरोजगारी से आज भी त्रस्त है। फसल ख़राब हो रहा है, जिसको देखने के लिए सरकार जरुरत नही समझती। किसान क़र्ज़ के तले दबे चले जा रहे है और अधिकारी व नेता पैसा को पानी की तरह बहाकर वाहवाही लूट रहे है।