शेखपुरा
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सब्र, संयम व समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना है रमजान

रमजान सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि खुद को सुधारने और इंसानियत की सेवा करने का महीना है। यह संयम, त्याग और भाईचारे की सीख देता है। यही रमजान की असली रूह है – इबादत, सब्र और इंसानियत।"

“रमजान इस्लाम धर्म में सबसे पाक महीना माना जाता है। यह सिर्फ रोज़ा और इबादत का समय नहीं, बल्कि अनुशासन, संयम और परोपकार की राह पर चलने का अवसर भी होता है। मुस्लिम समुदाय इसे बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाता है। सूरज निकलने से पहले ‘सहरी’ की जाती है। इसके बाद दिनभर बिना कुछ खाए-पिए रोज़ा रखा जाता है। यह सिर्फ शारीरिक सहनशक्ति का इम्तिहान नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का तरीका भी है। सूरज ढलने के बाद ‘इफ्तार’ के समय खजूर और पानी के साथ रोज़ा खोला जाता है। इसके बाद नमाज़ पढ़ी जाती है और अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है।

रमजान का सबसे बड़ा संदेश दया, प्रेम और भाईचारा है। गरीबों और जरूरतमंदों की मदद पर खास जोर दिया जाता है। जकात और फित्रा के जरिए अमीर-गरीब के बीच की दूरी कम करने की कोशिश होती है। मस्जिदों, घरों और मोहल्लों में इफ्तार पार्टियां होती हैं, जहां हर धर्म और तबके के लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं।

रात को ‘तरावीह’ की नमाज़ अदा की जाती है। इसमें क़ुरान-ए-पाक की तिलावत होती है। इसे सुनना और समझना आत्मा के सुकून के लिए अहम माना जाता है। इस महीने में अल्लाह की इबादत सबसे ज्यादा की जाती है। खासकर ‘लैलतुल क़द्र’ की रात को, जिसे हजार महीनों से बेहतर माना जाता है।

रमजान का समापन ईद-उल-फितर के त्योहार के साथ होता है। यह खुशी और जश्न का दिन होता है। मुस्लिम समुदाय के लोग सुबह की नमाज़ पढ़कर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और ‘ईद मुबारक’ कहते हैं। इस दिन विशेष पकवान बनते हैं, खासतौर पर सेवइयां। हर घर में मेहमानों की आवभगत की जाती है।

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