
शेखपुरा | जिला बाल संरक्षण इकाई, शेखपुरा से लंबे समय तक जुड़े रहे सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास को शुक्रवार को भावुक माहौल में विदाई दी गई। लगभग एक दशक तक बाल संरक्षण के क्षेत्र में सेवाएं देने वाले श्रीनिवास का तबादला हाल ही में मुंगेर जिला बाल संरक्षण इकाई में किया गया है।
श्रीनिवास वर्ष 2018 से शेखपुरा जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत थे। इससे पहले वे साढ़े चार वर्षों तक किशोर न्याय परिषद के सदस्य रहे। सेवा काल के दौरान उन्होंने बच्चों के संरक्षण, पुनर्वास और देखरेख के लिए अभूतपूर्व कार्य किए। श्रीनिवास को बाल संरक्षण इकाई शेखपुरा के फाउंडिंग मेंबर के रूप में भी जाना जाता है।
विदाई समारोह जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय परिसर में आयोजित किया गया, जिसमें सहायक निदेशक श्वेता कौर, बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रदीप कुमार, सुरेंद्र पासवान, डेटा एंट्री ऑपरेटर अमित कुमार, देवेंद्र राम, ओआरडब्ल्यू नितेश झा, विजय पासवान, राकेश कुमार सहित कई कर्मी उपस्थित रहे। एनिमल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के सचिव विनोद सिंह, पत्रकार उमेश कुमार और पूर्व सीडब्ल्यू सदस्य सुनील सिंह भी मौके पर मौजूद थे।
श्वेता कौर ने कहा, “श्रीनिवास समय के पाबंद, संवेदनशील और बच्चों के हित में हमेशा सक्रिय रहते थे। उनका जाना हमारे लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन हमें गर्व है कि उन्होंने शेखपुरा को राज्यस्तर पर पहचान दिलाई।”
कार्यक्रम में श्रीनिवास के कार्यकाल की कई उपलब्धियां साझा की गईं, जिसमें विशेष रूप से वीर बालक सौरव कुमार को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने में उनकी भूमिका को सराहा गया। बालक को न सिर्फ सम्मान दिलाया गया बल्कि राष्ट्रपति पुरस्कार तक की यात्रा में श्रीनिवास की भूमिका को सभी ने ऐतिहासिक माना।
अपने संबोधन में श्रीनिवास ने कहा,
“मैंने इस सेवा को नौकरी नहीं, समाज सेवा की भावना से किया। बाल संरक्षण मेरे लिए व्यक्तिगत जुनून रहा है। जरूरतमंद बच्चों को उनके परिवार से मिलाकर जो आत्मसंतोष मिलता था, वह अवर्णनीय है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने रात-दिन का भेद किए बिना बच्चों को संकट से निकालने को प्राथमिकता दी और जहां जरूरत पड़ी वहां व्यक्तिगत पहल कर मदद की।
श्रीनिवास के कार्यकाल में दर्जनों परित्यक्त नवजात शिशुओं को बचाकर दत्तक प्रक्रिया से सुरक्षित भविष्य दिलवाया गया। उनके प्रयास से जिला प्रशासन, न्यायपालिका और पुलिस के बीच बेहतर समन्वय स्थापित हुआ, जिससे शेखपुरा DCPU की एक विशिष्ट पहचान बनी।
समारोह के अंत में सभी कर्मियों ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी। कार्यालय के अधिकांश कर्मी अपने संबोधन में भावुक हो गए।
श्रीनिवास ने जाते-जाते कहा,
“शेखपुरा मेरी पहली कर्मभूमि रही है। यहां से मुझे पहचान मिली। जहां भी रहूं, बाल संरक्षण के लिए समर्पित रहूंगा।”
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