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Sheikhpura News : सदकर्म के रास्तों पर सदा चलना सिखाता है भागवत श्रवण: आशुतोष नन्द गिरि

जो भी मनुष्य श्रद्धाभाव के साथ भागवत कथा का श्रवण करते है उसे सदा सत्य कर्मो के साथ-साथ सत्य वचन बोलने का उत्तम संस्कार पैदा होता है। यह बातें अरियरी के करकी गांव में आयोजित शिव शक्ति प्राणप्रतिष्ठा भागवत ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन काशी के महामंडलेश्वर कथा वाचक आशुतोष नन्द गिरि जी महाराज अपने मुखर विन्द से बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस कालखण्ड में मानव दुनियां की चकाचैंध तथा सांसारिक सुख सुविधाओं के व्यवस्थाओं में फंसकर बुरे कर्मों के साथ-साथ गन्दे विचार के प्रति अपना लगाव बढ़ाने लगते है। कुछ क्षणिक सुख का आनन्द तो मानव प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन इसका खतरनाक परिणाम भी उनके उपर तथा उनके परिवार और समाज पर पड़ने लगता है। मानव में सिर्फ अपनी ही अपेक्षा पूर्ण करने का प्रचलन दिनों दिन बढ़ता जाने लगा है। जिससे लोग आज अपने ही सगे भाई बहने, माता पिता तथा परिवार समाज से अलग जीवन जीने  का रास्ता भी अख्तियार कराता है। जो समाज के लिए बहुत ही खतरनाक संदेश देने लगा है। इससे बचाव का एक ही रास्ता है भागवत श्रवण।

उन्होनें कहा कि सदकर्म के रास्ते पर चलने वाले मानव को जीवन में कुछ समय के कई कठिनाईयां भी झेलनी पड़ती है। लेकिन सदा सद मार्ग पर चलने वाले मानव को सुखद परिणाम भी इसी जीवन में प्राप्त हो जाती है। यज्ञ के मुख्य पुजारी संजय कुमार सिंह ने कहा कि दिन में अयोध्या के कलाकारों द्वारा रामलीला तथा देर रात वृंदावन के कलाकार रासलीला का मंचन कर उपस्थित श्रद्धालुओं का मन मोह लेते है। श्श्रद्धालुओं को प्रसाद पाने के लिए लगातार भंडारे का भी आयोजन कर इसे चैबिसों घंटे प्रारम्भ रखा गया है। यज्ञ में मीना बाजार, आसमानी झूला, मौत का कूंआ सहित कई मनोरंजन के साधन भी लगाए गए हैं। जिससे और भी भीड़ उमड़ने लगा है।   

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