डीजे का शोर बना सिरदर्द, रोकना प्रशासन के बूते के बाहर
अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.अशोक कुमार ने बताया कि डीजे की आवाज खतरनाक है। इससे कान की परत फट सकती है। गर्भ में पल रहे बच्चों पर इसका असर सबसे ज्यादा होता है। नवजात बहरा, गूंगा हो सकता है। मस्तिष्क पर भी असर पड़ता है। यह शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित करता है। डीजे की तेज आवाज से हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, चिड़चिड़ापन, चक्कर आना, नींद न आना और स्मृति पर असर जैसी समस्याएं होती हैं। सामान्य बातचीत, ट्रैफिक, अलार्म घड़ी और वॉशिंग मशीन की आवाज 60 से 80 डेसीबल के बीच होती है।

शादी-ब्याह के सीजन में डीजे का शोर लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। जिसे रोकना जिला प्रशासन के बूते के बाहर है। हालांकि हरेक बैठकों में प्रतिबंध लगाने की चर्चा जरूर होती है। हैरत की बात यह है कि इसका कागजी आदेश भी जारी होता है, लेकिन डीजे शोर रोकने में प्रशासन बेबस दिख रहे है। बता दें कि सरकार ने ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सभी अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं। इसके बावजूद देर रात तक डीजे बज रहा है। बारात में युवा तेज धुन पर नाचते हैं। डीजे जहां से गुजरता है, वहां कंपन महसूस होता है। दिल के मरीज और बुजुर्ग परेशान हो जाते हैं। कई बार डीजे पर डांस को लेकर मारपीट की घटनाएं भी सामने आई हैं।
भोजपुरी और मगही के अश्लील गानों की मांग बढ़ी है। आयोजकों को इस बात की चिंता नहीं कि आसपास कोई बीमार है, कोई बच्चा पढ़ाई कर रहा है या कोई दिल का मरीज है। यह स्थिति लग्न की शुरुआत से लगातार बनी हुई है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि मोबाइल के डेसीबल ऐप से मापने पर डीजे की आवाज 200 डेसीबल से ऊपर निकली। जबकि डीजे 50 मीटर दूर बज रहा था। तेज आवाज से खासकर बीमार लोग बेचैन हो जाते है। दरवाजे-खिड़की बंद करने के बाद भी डीजे की धमक आती रही।
स्थानीय लोगों के अनुसार देर रात तक डीजे बजने से नींद नहीं आई। सुबह सिर दर्द होने लगा। कार्यालय के कर्मचारी कहते है कि तेज आवाज के कारण काम करने में परेशानी होती है।
प्रशासन के अनुसार त्योहार व शादी समारोह में डीजे पर रोक है। जबकि शहर में 60 डेसीबल तक डीजे बजाने की अनुमति है। व्यावसायिक क्षेत्र में दिन में 75 और रात में 65 डेसीबल तक आवाज की अनुमति है। शहरी क्षेत्र में दिन में 65 और रात में 55 डेसीबल, आवासीय क्षेत्र में दिन में 55 और रात में 45 डेसीबल तक आवाज की सीमा तय है। वर्जित क्षेत्र में दिन में 50 और रात में 40 डेसीबल की सीमा है। डीजे सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक ही बजाया जा सकता है।