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मजदूरों की कुर्बानी को याद कर मनाया मजदूर दिवस

विजय कुमार विजय ने कहा कि मजदूरों की कुर्बानी से ही "आठ घंटे काम" का अधिकार मिला। इसका लाभ सिर्फ मजदूरों को नहीं, सभी नौकरीपेशा लोगों को मिला। पहले सूरज निकलने से लेकर डूबने तक काम होता था। मजदूरों से 18 से 20 घंटे तक काम लिया जाता था। सत्ता मजदूरों का दमन करती थी।

भाकपा माले ने मजदूर दिवस पर शेखपुरा में शहीद मजदूरों को श्रद्धांजलि दी। पटेल चौक के पास एक निजी सभागार में बैठक हुई। कार्यक्रम की शुरुआत एक मिनट के मौन से हुई। इसमें आंदोलन में शहीद हुए मजदूरों को याद किया गया।

बैठक को माले जिला सचिव विजय कुमार विजय, किसान महासभा के जिला सचिव कमलेश मानव, ऐक्टू जिला संयोजक कमलेश प्रसाद, इंकलाबी नौजवान सभा के संयोजक प्रवीण सिंह कुशवाहा, किसान नेता राजेश कुमार राय, बिशेश्वर महतो, मजदूर नेता जितेंद्र मांझी, तेतरी देवी और शांति देवी ने संबोधित किया।

विजय कुमार विजय ने बताया कि 1 मई 1886 को अमेरिका के शिकागो में पांच लाख मजदूरों ने आठ घंटे काम के लिए हड़ताल की थी। इस आंदोलन ने सत्ता और फैक्ट्री मालिकों को झकझोर दिया। सैकड़ों मजदूरों की शहादत के बाद यह अधिकार मिला। 1 मई को मजदूरों की एकता और संघर्ष इतिहास में दर्ज हो गया। भारत में पहली बार 1 मई 1923 को चेन्नई में मजदूर दिवस मनाया गया।

ऐक्टू नेता कमलेश प्रसाद ने मोदी सरकार द्वारा 44 श्रम कानून खत्म कर 4 श्रम कोड लाने की योजना की निंदा की। उन्होंने इसे वापस लेने की मांग की। कहा कि संघ और भाजपा के फासीवादी एजेंडे को किसान-मजदूर की एकता से हराया जाएगा।

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