जीविका दीदियों को अब मिलेगा अपना सहकारी बैंक : मंत्री बोले-लोन लेना और पैसे की जमा-निकासी होगा आसान
ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जहां 30 हजार लड़कियों को पुलिस में भर्ती किया गया है। महिलाओं ने सरकार से बाजार हाट की व्यवस्था और हर गांव-पंचायत में सिलाई केंद्र खोलने की मांग की।

बरबीघा प्रखंड के सुभानपुर मध्य विद्यालय के पास मंगलवार को महिला संवाद कार्यक्रम हुआ। इसमें ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार शामिल हुए। उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को बिहार सरकार की महिला सशक्तिकरण योजनाओं की जानकारी दी। बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जीविका दीदियों के लिए सहकारी बैंक की स्थापना की अनुमति दे दी है। अब दीदियां खुद बैंक चलाएंगी। लोन लेना और पैसे की जमा-निकासी आसान होगी।
मंत्री ने कहा कि हर जिले के सदर और अनुमंडल अस्पतालों, प्रखंड कार्यालयों में दीदी की रसोई और कैंटीन खोली जा रही है। अब सरकारी स्कूलों में 10वीं और 12वीं तक की पोशाक की सिलाई का काम भी जीविका दीदियों को दिया जा रहा है।
कार्यक्रम में उप विकास आयुक्त संजय कुमार ने मंत्री और बरबीघा विधायक सुदर्शन का स्वागत पौधा भेंट कर किया। महिलाओं ने सरकार की योजनाओं से मिले लाभ की जानकारी साझा की। गांव की प्रीति कुमारी ने बालिका मेधावृत्ति योजना और आरक्षण का लाभ लेकर पढ़ाई पूरी की। अब उनका चयन बिहार पुलिस में हुआ है। वे अगले महीने से सेवा में आएंगी। मंत्री ने उनकी सराहना की।
शेखपुरा महिला थाना की प्रभारी अनामिका कुमारी और उत्पाद थाना की निशा कुमारी ने भी अपने अनुभव साझा किए। गांव की सोनी खातून और शैला देवी ने सतत् जीविकोपार्जन योजना से गरीबी से निकलकर रोजगार शुरू करने की कहानी सुनाई।
विधायक सुदर्शन ने महिला संवाद कार्यक्रम की सराहना की। कहा कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं इससे जुड़ें और योजनाओं की जानकारी लें। मंत्री ने कहा, “नारी के सहयोग के बिना कोई बदलाव पूरा नहीं होता।” उन्होंने बताया कि जीविका से जुड़कर गांव की आशा देवी ने अपनी बेटी को पढ़ाया। बेटी ने आरक्षण का लाभ लेकर दरोगा की नौकरी पाई।
मंत्री ने कहा कि सरकार आंगनबाड़ी से स्नातक तक की पढ़ाई में सहयोग कर रही है। मध्यान्ह भोजन, पोशाक योजना, साइकिल योजना, छात्रवृत्ति योजना और कन्या उत्थान योजना से हर घर के बच्चों को पढ़ाई का मौका मिल रहा है। सभी पंचायत स्तर के हाई स्कूल अब 10+2 कर दिए गए हैं। लड़कियां पढ़ेंगी, तभी आरक्षण का लाभ मिलेगा। आज लड़कियां दरोगा, बीडीओ और शिक्षक बन रही हैं।
उन्होंने बताया कि बिहार में 10 लाख 63 हजार स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें 1 करोड़ 35 लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। अब उन्हें रोटी, पढ़ाई और दवाई के लिए किसी महाजन के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ता। 2006 में जीविका की शुरुआत हुई थी। अब इन्हें रोजगार और आजीविका के साधन मिल रहे हैं। पूरे देश में सबसे ज्यादा स्वयं सहायता समूह बिहार में हैं।
बीते शुक्रवार को सरकार ने जीविका दीदियों के लिए बड़ा फैसला लिया। सहकारी बैंक की मंजूरी मिल गई है। इसका संचालन दीदियां करेंगी। अब लोन लेने की परेशानी खत्म होगी। सभी 534 प्रखंड कार्यालयों में सफाई और कैंटीन का काम भी दीदियों को दिया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज, हॉस्टल, सदर और अनुमंडल अस्पतालों में रसोई और सफाई का काम भी दीदियां करेंगी।
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री का संकल्प है कि हर परिवार की महिला को रोजगार से जोड़ा जाए। हर प्रखंड में समाधान केंद्र खोले जाएंगे। यहां पढ़ी-लिखी दीदियां ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं की जानकारी देंगी।
कार्यक्रम का संचालन जीविका के जिला परियोजना प्रबंधक संतोष कुमार सोनू ने किया। समापन उप विकास आयुक्त संजय कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ।