Mahashivratri : भोले की शाही बारात को देखकर का डोलेगा मन, इस मंदिर को महाभारत काल में भीम ने किया था स्थापित

शहर के गिरिहिंडा चौक स्थित 150 फीट ऊंचे पहाड़ पर स्थापित ऐतिहासिक शिव-पार्वती मंदिर के बारे में कई तरह की किदवंतिया प्रचलित है। इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि गिरिहिंडा पहाड़ पर हिडिम्बा नामक दानवी स्त्री शैल शिखर पर रहती थी। पांडव के निर्वासन काल में गदाधारी शक्तिशाली भीम भटककर यहाँ पहुंचे तथा भीम ने हिडिम्बा से गन्धर्व विवाह रचाया था। जिससे हुंदारक नामक पुत्र रत्न उत्पन्न हुआ। जिसकी वीरता चर्चित था।
इसी हिडिम्बा नामक स्त्री की स्मृति में गिरिहिंडा मोहल्ला का नामांकन हुआ। गिरिहिंडा पहाड़ पर स्थापित शिवलिंग को भीम द्वारा स्थापित माना जाता है। मुंगेर गजेटियर नामक किताब में भी इसकी चर्चा की गयी है। प्रतिवर्ष इस मंदिर में महाशिवरात्रि, सावन एवं भादो पूर्णिमा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। शिवरात्रि को लेकर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में तैयारियां जोर-शोर से जारी है। शिवालय पर रंग-बिरंगे लाइट लगाए जाने का कार्य जोरों पर है।
शेखपुरा थाना परिसर, तीनमूहानी स्थित शिवालय के अलावे जिले के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित शिव-पार्वती मंदिर में तैयारियां जोर शोर से तैयारी की जा रही है। शिवरात्रि को लेकर बारात निकाले जाने की तैयारी में भी श्रद्धालु अभी से ही जुट गए हैं।

आज भूत-प्रेत के वेशभूषा में निकलेगी शिव की बारात
गिरिहिंडा पहाड़ पर स्थित शिव-पार्वती मंदिर में महाशिवरात्रि का आयोजन बुधवार की देर रात किया जायेगा। इस दौरान इस मंदिर से भगवान शिव की बारात पूरे शहर में भ्रमण करती है और देर रात भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह होता है। बड़ी संख्या में लोग भूत -प्रेत के वेशभूषा में बाराती बैंड बाजे के धून पर थिरकते हुए पूरे नगर का भ्रमण करते है।
वहीं, सैकड़ों की संख्या में महिलाएं बारात की स्वागत के लिए तैयारी में जुटी रहती है। इस शिव-पार्वती विवाह में शहर के प्रतिष्ठित लोगों के अलावे बुद्धिजीवी, राजनीतिक दल, समाजसेवी के अलावे गणमान्य लोग शामिल होते है। शिवरात्रि के दिन इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
खासकर शिव भगवान के इस बारात में आसपास के गांव के अलावा अन्य जिलों के श्रद्धालुओं यहां पहुंचते है। इस शिव-पार्वती विवाह में सैकड़ों लोग शामिल होते है और पूरी रात भर यह कार्यक्रम रीति रिवाज से चलता है। इसको लेकर मंदिर कमिटी के लोगों द्वारा बिजली, पानी, महाभोज सहित अन्य मुलभुत सुविधाओं का व्यवस्था किया जाता है। सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस बल की भी तैनाती रहती है।

कुसेढ़ी पंचमुखी शिवलिंग आस्था का प्रतीक, उमड़ती है भीड़
बरबीघा प्रखण्ड अंतर्गत कुसेढ़ी गांव स्थित भगवान शंकर के भव्य पंचमुखी शिवलिंग से जुड़ी आस्था और विश्वास के कारण यहां स्थापित शिवमंदिर श्रद्धालुओं को हमेशा आकर्षित करते आ रही है। बरबीघा प्रखंड मुख्यालय से महज तीन से चार किलोमीटर दूर कुसेढ़ी में स्थापित इस मंदिर में अद्वितीय पंचमुखी शिवलिंग इतनी पुरानी है कि इसके स्थापना और उत्खनन के सम्बन्ध में कोई तथ्यात्मक जानकारी किसी के पास नहीं है।
किंवदंती के अनुसार 14 वीं ईसवी में माधो तिवारी नामक व्यक्ति प्रत्येक माह बैधनाथ धाम जाकर भोले बाबा का जलाभिषेक किया करते थे। तत्पश्चात एक दिन भोले बाबा ने माधो तिवारी को स्वप्न देकर इस स्थान की खुदाई करने को कहा था। जिसके बाद खुदाई में यह पंचमुखी शिवलिंग मिली। जिसके बाद गांव के ही छट्टू गुरूजी ने मंदिर का निर्माण करवाया था। बता दें कि यह प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर की बनी हुई है और बेशकीमती है।
वहीं, इसी गांव के अधिवक्ता सुबोध कुमार ने बताते है कि यह अति प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग कामना लिंग के नाम से भी प्रसिद्ध है। क्योंकि यह पंचमुखी शिवलिंग जागृत अवस्था में रहने के कारण यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते है, वो जरूर पूरा होता है।

बरबीघा में महाशिवरात्रि की तैयारी पूरी
बरबीघेश्वरी दुर्गा मंदिर सह शिव-पार्वती मंदिर एवं महादेवगंज के प्रसिद्ध झारखंडी महादेव मंदिर में प्रत्येक वर्षों की तरह इस वर्ष भी बरबीघा में महाशिवरात्रि के अवसर पर विभिन्न ने मंदिरों, ठाकुरवाड़ी, देवालय एवं शिवालय में भव्य समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है। कई मंदिरों को आकर्षक एवं भव्य रूप से सजाए गए हैं ।जिसकी सुंदरता देखते ही बन रही है।
बरबीघा के पुरानी शहर स्थित बरबीघेश्वरी देवी मंदिर सह शिव पार्वती मंदिर में महाशिवरात्रि के मौके पर विशेष समारोह का आयोजन किया जा रहा है। इसके तहत मंदिर के समीप भव्य पंडाल और तोरण द्वार भी बनाए गए हैं। मंदिर प्रांगण को रंग-बिरंगे बल्बों से सजाए गए हैं। बुधवार को शिव भक्तों द्वारा मंदिर प्रांगण से भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी जो बाजे गाजे के साथ शहर के विभिन्न मोहल्लों का भ्रमण करेगा। इसके बाद देर शिव-पार्वती विवाह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। वहीं रात्रि में भगवती जागरण का भी आयोजन किया गया है।