रसोइयों का जिला समाहरणालय पर जोरदार प्रदर्शन ; ये है मांगें
रसोइयों ने 1650 में दम नहीं, 10000 से कम नहीं। रसोइयों का मानदेय 1650 रुपए क्यों, प्रधानमंत्री जवाब दो। रसोइयों को सरकारी कर्मचारी घोषित करो। ₹3000 पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट दो। ड्रेस में दो जोड़ी सूती साड़ी दो। मध्याह्न भोजन योजना से एनजीओ को बाहर करो आदि का नारे लगाए।

बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ ऐक्टू के बैनर तले सोमवार को जिला समाहरणालय पर जोरदार प्रदर्शन हुआ। इससे पहले दल्लू चौक टाउन हॉल के पास सैकड़ों विद्यालय रसोइया जुटे। नारेबाजी करते हुए जुलूस की शक्ल में कटरा चौक, चांदनी चौक होते हुए जिला मुख्यालय पहुंचे। वहां सभा में तब्दील हो गए।
सभा की अध्यक्षता रसोईया नेत्री बेबी देवी ने की। ऐक्टू नेता कमलेश प्रसाद ने कहा कि दिल्ली और पटना की सरकार महिला स्कीम कामगारों को न्यूनतम मजदूरी नहीं देना चाहती। बिहार की डबल इंजन सरकार रसोइयों को बेकार समझती है। 1650 रुपए में 10 घंटे काम लिया जा रहा है। यह शर्म संहिता के खिलाफ है।
ऐक्टू ने सरकार से मांग की कि रसोइयों को न्यूनतम ₹10000 मासिक मानदेय दिया जाए। साल में 12 महीने मानदेय मिले। समय पर भुगतान हो। सभी रसोइयों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। सामाजिक सुरक्षा स्कीम के तहत ₹3000 पेंशन मिले। दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए। ड्रेस में दो जोड़ी सूती साड़ी दी जाए।
माले जिला सचिव विजय कुमार विजय ने कहा कि प्रधानमंत्री आज मधुबनी में चुनावी दौरे पर हैं। जब से प्रधानमंत्री सत्ता में आए हैं, रसोइयों का एक पैसा नहीं बढ़ा। बिहार सरकार भी पिछले पांच साल से मानदेय नहीं बढ़ा रही। रसोइया प्रदर्शन के जरिए पूछना चाहती हैं कि किस कानून के तहत उनसे बेगारी करवाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि बिहार की रसोइयों की स्थिति बहुत दयनीय है। उन्हें सिर्फ ₹1650 मानदेय मिलता है। जबकि देश के अन्य राज्यों में इससे ज्यादा मिलता है। केरल में ₹12000 तक दिया जाता है। बिहार में साल में सिर्फ 10 महीने मानदेय मिलता है। काम का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
सभा को माले नेता कमलेश कुमार मानव, राजेश कुमार राय, विशेश्वर महतो, प्रवीण सिंह कुशवाहा, अनीता चौहान, रसोईया कुमारी सुधा सिन्हा, नीलम देवी, सीमा देवी, सरिता देवी, उर्मिला देवी, विमली देवी ने भी संबोधित किया।