
सीएम नीतीश कुमार 08 फरवरी को घाटकुसुम्भा प्रखंड के गगौर गांव आएंगे। मुख्यमंत्री के आगमन को लेकर प्रशासनिक स्तर पर बड़ी तैयारी शुरू हो गई है। तमाम अधिकारी गांव में कैंप कर चलाए जा रहे विकास कार्यों को संपन्न कराने में लगे हैं। गांव वाले उत्साहित हैं कि सूबे के मुखिया उनके गांव आने वाले हैं। इस बहाने विकास रूपी पुराने भवन पर नया रंग तो चढ़ रहा है, बचे कार्य पूरे हो रहे हैं। यहां मुख्यमंत्री को गांव में एक जगह सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को जिला प्रशासन दिखाना चाहता है। हालांकि सीएम अचानक किसी गांव जाते तो तस्वीर कुछ अलग ही होती, लेकिन जहां ले जाने की तैयारी चल रही है, कम से कम उस गांव में विकास के बचे काम जो वर्षों में पूरे होने वाले नहीं थे उसे अधिकारी 20 दिनों में कर देते हैं। गगौर गांव के तालाब का सौंदर्यीकरण, गली में पीसीसी सड़क, नाला, कस्तूरबा विद्यालय, पंचायत सरकार भवन, आँगनबाड़ी एवं उप स्वास्थ्य केंद्र का रंग बदल रहा है। सीएम के आगमन से पहले तक इस पंचायत भवन में वह सारी चीजें लग जाएंगी, जिसे मुख्यमंत्री देखेगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों बिहार में प्रगति यात्रा पर हैं। इस दौरान सीएम घाटकुसम्भा के गगौर गांव आयेंगे। उनके आगमन की तिथि 8 फरवरी मुकर्रर किया गया है। वहीं शेखपुरा जिला प्रशासन की ओर से बिहार के मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले कार्यक्रम स्थल पर चाक-चौबंद इंतजाम किये गये हैं। मजे की बात यह है कि जिस गांव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्रम है, उस गांव की दो तस्वीरें सामने आई हैं। एक तस्वीर, जिसमें मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल की तरफ विकास की बयार बहा दी गई है, वहीं दूसरी तरफ उसी गांव के दूसरे हिस्से में कोई व्यवस्था नहीं है, क्योंकि मुख्यमंत्री उस गांव में तो जरूर जाएंगे लेकिन दुसरे हिस्से में नहीं। इसलिए गांव के उस हिस्से को यूँ ही छोड़ दिया गया है।

एक ही गांव की दो तस्वीरें
गगौर गांव के कार्यक्रम स्थल की तरफ सड़क और बिजली के खंभों पर बल्ब दिख रहे हैं। अधिकारियों ने उस ओर साफ़ सफाई करवाकर चकाचक कर दिया है। लेकिन इस गांव के दूसरा हिस्सा अभी भी अपनी वर्षों पुरानी जर्जरता की कहानी बयां कर रहा है। क्यों कि उस हिस्से में सीएम नहीं जाएंगे, इसलिए उस तरफ के जर्जर सड़क को यूं ही छोड़ दिया गया है। इस तरफ बिजली के खंभों पर एक बल्ब भी नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल पर स्ट्रीट लाइट और सोलर लाइट लगा दिए गए हैं। इतना ही नहीं बिजली के खंभों को भी बदल दिया गया है। कार्यक्रम स्थल पर चारों तरफ चाहरदीवारी बना दिया गया है।

अपनी कमी को छुपाने के लिए अधिकारियों ने की है करतूत
स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगमन की सूचना मिलने के पूर्व से ही गगौर गांव के पश्चिमी टोला में जिला प्रशासन की ओर से युद्धस्तर पर कार्य शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है बिहार के मुख्यमंत्री आ रहे हैं इसीलिए यह काम हो रहा है, अन्यथा हमलोग विकास से अभी भी काफी दूर हैं। यह सभी काम इसलिए किये गये हैं ताकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लगे कि हर जगह अच्छा और सुंदर व्यवस्था है। यह सब बस दिखावा के लिए किया गया है। लेकिन इसी गांव में दो तस्वीर पूर्वी और पश्चिम टोला की हैं। एक तरफ पश्चिम टोला में दिखाने के लिए पूरी तरीके से काम कर दिया गया है, तो दूसरी तरफ कोई काम ही नहीं किया गया है। जहां पर जरूरत है वहां पर कोई काम नहीं किया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री को पश्चिम टोला आना है इसलिए युद्धस्तर पर कार्य जारी है। यह सब जिला के पदाधिकारियों की करतूत है, जो अपनी कमी को छुपाने के लिए इस तरह की व्यवस्था किये हैं।

गुणवत्ता की हो रही अनदेखी
मुख्यमंत्री के दौरे से पहले जिले के अधिकारी, सरकारी कर्मी ऐसा दिखाने में जुटे हैं सब कुछ बिल्कुल परफेक्ट हैं। वो काफी मेहनत कर रहे हैं। सभी योजनाओं को बिल्कुल मानक तरीके से धरातल पर उतारने की कवायद हो रही है। लेकिन इससे उलट पूरे काम में गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा है। निर्माण कार्य में दो नंबर ईट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एक बार गिरने पर ही टूटकर बिखर जाते है। साथ ही पहाड़ की मिट्टी से भरी गिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह का घटिया निर्माण कार्य कितना टिकाऊ होगा, ये सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यहाँ गलियों में पीसीसी ढलाई और नाली का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन निर्माण कार्य में जिस तरह गुणवत्ताहीन और घटिया निर्माण कार्य हो रहें है वो एक साल भी टिकेगा या नहीं, इस पर संशय बरकरार है।

महसार में न बचा जिमखाना, अस्पताल का भी हाल बेहाल
समाधान यात्रा के सिलसिले में वर्ष 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शेखपुरा के महसार गांव आए थे, उनके आगमन की तैयारी को लेकर गांव को शहर का शक्ल देने की कवायद की गई थी। पंचायती राज का सपना साकार करने के लिए पंचायत सरकार भवन को दुल्हन की तरह सजाया गया था। जिम, हॉस्पिटल, स्कूल, सामुदायिक भवन, नल जल, जल जीवन जीवन हरियाली, सड़क, बिजली पर करोड़ों रुपये खर्चा किया गया था। लगा था कि महसार गांव सचमुच में शहर बन जाएगा। लेकिन मुख्यमंत्री के जाते ही सब कुछ वीरान होने लगा। आज डेढ़ साल में पानी के तरह बहाए गए करोड़ों रुपये का नामों निशान नहीं रहा।
