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Bettiah : बेटी पढ़ाओ, बेटियां अधूरी तालीम में फंसी!

पश्चिम चंपारण, बेतिया में सेमरा मदरसा का दारुल बनात अधूरा पड़ा, 500 लड़कियों की बुनियादी शिक्षा प्रभावित। स्थानीय लोग और प्रशासन मदद की मांग कर रहे हैं।

बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के मझौलिया प्रखंड स्थित सरिसवा बाजार में स्थित सेमरा मदरसा का दारुल बनात यानी लड़कियों का मदरसा वर्षों से अधूरा पड़ा है। स्थानीय समुदाय और मदरसे के जिम्मेवार लोग सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकि करीब 500 लड़कियों को बुनियादी और धार्मिक शिक्षा प्रदान की जा सके।

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सेमरा मदरसा की स्थापना स्वतंत्रता से पहले वर्ष 1818 में हुई थी। यह मदरसा हिफ्ज़ ए-कुरआन पूरी करने वाले बच्चों के लिए जाना जाता है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2005 में लड़कियों के आवासीय भवन के निर्माण के लिए 70 लाख रुपये की अनुदान राशि का ऐलान किया था। इसके बावजूद अब तक केवल 35 लाख रुपये ही आवंटित किए गए हैं। नींव और कुछ दीवारें खड़ी हो चुकी हैं, लेकिन छत और अन्य निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं।

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स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल वाहिद उर्फ झून्ना, आफाक अहमद, खुर्शीद आलम और कारी बशीर अहमद मजाहिरी ने सरकार और जनता से अपील की है कि मदरसे को पूर्ण सहायता प्रदान की जाए। उनका कहना है कि अधूरा निर्माण लड़कियों की बुनियादी तालीम में बाधा डाल रहा है और उन्हें स्वावलंबी बनाने की प्रक्रिया रुक गई है।

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स्थानीय समुदाय का कहना है कि अल्पसंख्यक वोट केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्व रखते हैं, लेकिन उनकी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। मदरसे के जिम्मेदार और ग्रामीण दोनों सरकार से यह अनुरोध कर रहे हैं कि समय रहते इसे पूरा किया जाए ताकि बेटियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और वे सुरक्षित तथा आत्मनिर्भर बन सकें।

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मालूम हो कि वर्ष 2005 के बाद बिहार और केंद्र में कई सरकारें बदलीं, लेकिन दारुल बनात की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। स्थानीय लोग और समाज के जिम्मेदार अब इसे प्राथमिकता बनाने की मांग कर रहे हैं।

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